हर भोर में
छुपा है नया विश्वास
हर मौसम में है
स्पर्श तेरा।
उन्मुक्त हूँ
सपनो ने भरी है उड़ान
मजबूत हूँ
मुक्त हूँ उन्मुक्त हूँ।
आज़ाद हूँ
तेरे आंचल की छांव में
शामिल हूँ
हर रंग में
हूँ मैं हिस्सा इस भीड़ का।
रफ़्तार तेज़ है मेरी
आकांक्षाओं से परिपूर्ण हूँ
बुलंद है हौसले।
उँचाइयों मे है मेरा कुटुंब
जीत या हार
समाहित है हर भाव मुझ में।
अस्तित्व है मेरा तुझसे
नमन है मेरे वतन की मिट्टी को
मेरा आज और कल
है अर्थपूर्ण तुमसे।
By: पारुल मेहता / Parul Mehta
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