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Writer's pictureParul Mehta : Soldier Soul Scripting Her Own Story

मेरी तपोभूमि और मै

Updated: Apr 15, 2021


हे मेरी मातृभूमि प्रणाम है तुम्हें मेरा,

हर भोर में छुपा है, नया विश्वास

हर मौसम में है, स्पर्श तेरा।

बीज बन कर जन्मा हूँ मै तेरे ह्रदय से,

सपनो ने भरी है उड़ान,

और प्रतिबिंब हूँ आज तेरा

और उन्मुक्त हूँ आज


हे अन्नपूर्णा माँ नमस्कार है तुम्हें मेरा,

सपनो ने भरी है उड़ान, उचाईयों मे है मेरा कुटुंब

जीत या हार, समाहित है हर भाव मुझ में

मेरा भरण पोषण तुझी से है,

और मेरा अस्तित्व भी तुझी से है माँ

और मजबूत हूँ आज


हे मेरी जन्मभूमि नमन है तुम्हें मेरा,

सुख-दुःख की छाओं में फला-फूला हूँ मै,

और मेरे परिश्रम का प्रमाण देती है ये उषा बेला

हर रंग में हूँ मैं, हिस्सा इस भीड़ का, रफ़्तार तेज़ है मेरी

आकांक्षाओं से परिपूर्ण हूँ, बुलंद है हौसले आज

और कार्यगौरव हूँ आज



हे मेरी कर्मभूमि अभिनन्दन स्वीकार करो तुम मेरा,

दस्तके सुनता रहता हूँ किसी आने वाले अनकहे तुफान की,

मगर उल्लेखनीय है मेरा साहस

रिश्ता है तेरा मेरा मजबूत बड़ा,

गरिमापूर्ण होगी मेरी पहचान, जिस दिन तरंगे मे लिपटकर आऊंगा मैं माँ

मेरे बलिदान की गाथा बरसा रही है ये रिमझिम बारिश की बूंदे,

और अर्पण है तुम्हें , मेरा कर्म, तन-मन, विश्वास

और आज़ाद हूँ आज





हे मेरी मातारूपी धरती नतमस्तक हूँ मै,

मेरे स्वदेशी लहू का रंग सुर्ख लाल है,मिल कर बना है ये,

हरे, सफेद, और केसरिया से

मेरे पराक्रम और धीरज से सींचा है मैंने, मेरे देश की मिट्टी को,

जो पहचान है मेरी आज

मेरा आज और कल, है अर्थपूर्ण तुमसे धात्री

जय हिंद

By: पारुल मेहता / Parul Mehta



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